'पांच सालों में सभी गांवों में होंगी सहकारी संस्थाएं', अमित शाह का राज्यों से आग्रह; कहा- प्राकृतिक खेती को दें बढ़ावा

'पांच सालों में सभी गांवों में होंगी सहकारी संस्थाएं', अमित शाह का राज्यों से आग्रह; कहा- प्राकृतिक खेती को दें बढ़ावा

केंद्र सरकार ने सहकारिता के माध्यम से समृद्धि लाने के लिए अगले पाँच वर्षों में देश के सभी गांवों में सहकारी संस्थाएँ खोलने का लक्ष्य रखा है। अमित शाह ने राज्यों के सहकारिता मंत्रियों के साथ मंथन बैठक में राष्ट्रीय सहकारिता नीति जल्द बनाने की घोषणा की। उन्होंने प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने और सहकारी प्रशिक्षण संस्थानों को त्रिभुवन सहकारी यूनिवर्सिटी से जोड़ने का आग्रह किया।

केंद्र सरकार ने सहकारिता के माध्यम से समृद्धि लाने के लिए अगले पाँच वर्षों में देश के सभी गांवों में सहकारी संस्थाएँ खोलने का लक्ष्य रखा है। अमित शाह ने राज्यों के सहकारिता मंत्रियों के साथ मंथन बैठक में राष्ट्रीय सहकारिता नीति जल्द बनाने की घोषणा की। उन्होंने प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने और सहकारी प्रशिक्षण संस्थानों को त्रिभुवन सहकारी यूनिवर्सिटी से जोड़ने का आग्रह किया।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सहकारिता के जरिए समृद्धि के प्रयासों के तहत केंद्र सरकार ने अगले पांच वर्षों के दौरान देश के सभी गांवों में सहकारी संस्थाएं खोलने का लक्ष्य रखा है। केंद्रीय गृह एवं सहकारिता अमित शाह ने सोमवार को दिल्ली में अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष के मौके पर राज्यों के सहकारिता मंत्रियों के साथ ''मंथन बैठक'' की अध्यक्षता करते हुए राष्ट्रीय सहकारिता नीति जल्द बनाने की घोषणा की। सहकारिता के जरिए समृद्धि के प्रयासों के तहत केंद्र सरकार ने अगले पांच वर्षों के दौरान देश के सभी गांवों में सहकारी संस्थाएं खोलने का लक्ष्य रखा है। केंद्रीय गृह एवं सहकारिता अमित शाह ने सोमवार को दिल्ली में अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष के मौके पर राज्यों के सहकारिता मंत्रियों के साथ ''मंथन बैठक'' की अध्यक्षता करते हुए राष्ट्रीय सहकारिता नीति जल्द बनाने की घोषणा की।

जानिए क्या था बैठक का उद्देश्य बैठक का उद्देश्य सहकारिता आंदोलन को मजबूत करने के लिए चल रही योजनाओं की समीक्षा, उपलब्धियों का आकलन और सहयोग को बढ़ावा देने के लिए एक गतिशील मंच प्रदान करना है। अमित शाह ने कहा कि चालू वित्त वर्ष के फरवरी तक दो लाख नए पैक्स बनाने के लक्ष्य को प्राप्त कर लिया जाए। करोड़ों लोग जीवन को बेहतर बनाने के लिए उद्यम करना चाहते हैं, मगर पूंजी नहीं है। सहकारिता से यह संभव है, क्योंकि इसमें अपार संभावनाएं हैं। राष्ट्रीय सहकारी डेटाबेस बनाना सबसे अहम इसके तहत राज्यों की नीति उनकी जरूरत के अनुसार बनाई जाएगी। उन्होंने राज्यों के सहकारिता मंत्रियों को कृषि मंत्रियों के साथ मिलकर प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने का आग्रह किया, ताकि जनस्वास्थ्य और धरती दोनों का हित हो। यह भी कहा कि प्रत्येक राज्य का कम से कम एक सहकारी प्रशिक्षण संस्थान त्रिभुवन सहकारी यूनिवर्सिटी से जुड़े और राज्य के सहकारी प्रशिक्षण की समग्र व्यवस्था का नेतृत्व करे।बैठक का उद्देश्य सहकारिता आंदोलन को मजबूत करने के लिए चल रही योजनाओं की समीक्षा, उपलब्धियों का आकलन और सहयोग को बढ़ावा देने के लिए एक गतिशील मंच प्रदान करना है। अमित शाह ने कहा कि चालू वित्त वर्ष के फरवरी तक दो लाख नए पैक्स बनाने के लक्ष्य को प्राप्त कर लिया जाए। करोड़ों लोग जीवन को बेहतर बनाने के लिए उद्यम करना चाहते हैं, मगर पूंजी नहीं है। सहकारिता से यह संभव है, क्योंकि इसमें अपार संभावनाएं हैं।

जल्द ही सहकारिता नीति की घोषणा होगी अमित शाह ने कहा कि सहकारिता में सारी भर्तियां पहले भाई-भतीजावाद से होती थीं और इसीलिए त्रिभुवन सहकारी यूनिवर्सिटी का विचार किया गया। जल्द ही सहकारिता नीति की घोषणा होगी, जो 2045 तक अमल में रहेगी। इसके तहत ही हर राज्य की सहकारिता नीति वहां की स्थिति के अनुरूप बने और इसके लक्ष्य भी निर्धारित हों। तभी आजादी की शताब्दी तक हम एक आदर्श को-ऑपरेटिव स्टेट बन सकेंगे। सहकारिता में अनुशासन, नवाचार और पारदर्शिता लाने का काम इसी मॉडल एक्ट से होगा। बैठक में मूल्यांकन पर ध्यान केंद्रित किया गया सरकार की 60 पहलों में राष्ट्रीय सहकारी डेटाबेस बनाना सबसे अहम है। इसके सहारे पता चल जाएगा कि किस राज्य के किस गांव में सहकारी संस्था नहीं है। सरकार का लक्ष्य पांच वर्षों में देश के सभी गांवों में कम से कम एक सहकारी संस्था खोलने का है। सहकारी डेटाबेस के जरिए यह आसान हो सकेगा।अमित शाह ने कहा कि सहकारिता में सारी भर्तियां पहले भाई-भतीजावाद से होती थीं और इसीलिए त्रिभुवन सहकारी यूनिवर्सिटी का विचार किया गया। जल्द ही सहकारिता नीति की घोषणा होगी, जो 2045 तक अमल में रहेगी। इसके तहत ही हर राज्य की सहकारिता नीति वहां की स्थिति के अनुरूप बने और इसके लक्ष्य भी निर्धारित हों। तभी आजादी की शताब्दी तक हम एक आदर्श को-ऑपरेटिव स्टेट बन सकेंगे। सहकारिता में अनुशासन, नवाचार और पारदर्शिता लाने का काम इसी मॉडल एक्ट से होगा।

Published: June 30, 2025, 6:12 p.m.


Source: Dainik Jagran

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